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आदिवासी भाषाये 8वीं अनुसूची मे!

अक्षर के बल से इतिहास को फिर से पढ़ने से ऐसे समझमे आता है कि अब तक हमारे द्वारा हमारे जीवन का नजदीकी और तर्क को मिलने वाले मूल्यों को नाश करने का प्रयास किया गया है। जो लोग सहजीवन, दया और करुणा को ही धर्म मानते थे उनका जीवन का सांस्थिक उद्देश को उनके मूल्योंको नष्ट किया है। उन्हीं को हमारे मौखिक परंपरा प्रतिरोध करते आये हैं। ये सब प्रतिरोधात्मक विषय इतिहास में दर्ज नहीं हुए हैं। इन प्रतिरोधों का बहुतसारे विषय मौखिक स्तरपर हमारे सामने अभी भी जीवित हैं। राजधर्म और धर्मराजकारण समाज को नियंत्रण करने के बजाय मिथिकीय भारत ऐसे झूठ बोल रहे है कि आधुनिक भारत को शरमिंदा हो रहा है। आंशिक विचारों को इतिहास के रूपमे पढ़ाया जा रहा है। आजभी हमारे रामायण, महाभारत लिपियो वालों से आगे बढ़ रहे हैं। मौखिक स्तर का इन लोक गीतों का स्वरूप बहुरूप मे बहुसंस्कृति धारा से बना आदिवासीयों की यादें हैं। अब आदिवासियों से पूजित रावण को अविनाशी लिपिवालों से बंधित राम के साथ अनुसन्धान का है। भविष्य के भय को टालने का एक महान शक्ति संस्कृति के शोध से पैदा होना है जो इतिहास का प्रमाद वर्तमान के लिए आतंक बन जाता है, भविष्य के बारेमें भय निर्माण करता है उन सब को रोकने का बहुत बड़ी शक्ती खोज से ही पैदा होना चाहिए।



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Keywords: Gondi, tribal, languages

ISSN: 2582-8800

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